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ग्रहों की दृष्टिया

आचार्य
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"ग्रहों की दृष्टियाँ वे अदृश्य किरणें हैं, जिनसे नौ ग्रह एक-दूसरे और बारह भावों पर प्रभाव डालते हैं। यह केवल नज़र नहीं, बल्कि भाग्य, कर्म और घटनाओं की दिशा बदलने वाली शक्ति है। ग्रहों की दृष्टियों का ज्ञान, कुंडली के रहस्यों की चाबी है—जहाँ आप जानेंगे कौन-सा ग्रह किस ओर देख रहा है, और वह नज़र शुभ है या अशुभ।"

 ग्रहों की दृष्टियाँ

 1 – परिचय

  1. ग्रहों की दृष्टियों का महत्व

  2. दृष्टि और प्रभाव का मूल सिद्धांत

  3. दृष्टि और युति (Conjunction) में अंतर

2 – दृष्टियों के प्रकार

  1. सामान्य दृष्टि (7वीं दृष्टि)

  2. विशेष दृष्टियाँ – मंगल, गुरु, शनि की

  3. पूर्ण एवं अंशिक दृष्टियाँ

  4. शुभ और अशुभ दृष्टियों का भेद

3 – ग्रहों की व्यक्तिगत दृष्टियाँ

  1. सूर्य की दृष्टि

  2. चंद्रमा की दृष्टि

  3. मंगल की विशेष दृष्टियाँ (4वीं और 8वीं)

  4. बुध की दृष्टि

  5. गुरु की विशेष दृष्टियाँ (5वीं और 9वीं)

  6. शुक्र की दृष्टि

  7. शनि की विशेष दृष्टियाँ (3वीं और 10वीं)

  8. राहु और केतु की दृष्टियाँ

 4 – दृष्टियों का प्रभाव भावों पर

  1. दृष्टि का भाव-फल पर प्रभाव

  2. दृष्टियों से होने वाले योग व दोष

  3. दृष्टियों का विवाह, करियर, स्वास्थ्य पर प्रभाव

5 – व्यावहारिक अध्ययन

  1. जन्मकुंडली में दृष्टियों की पहचान

  2. वास्तविक कुंडलियों का अध्ययन

  3. दृष्टि विश्लेषण की तकनीकें

6 – रहस्य और विशेष प्रयोग

  1. दृष्टियों से ग्रहों की शक्ति बढ़ाना/घटाना

  2. दृष्टियों से समय-निर्धारण (Timing of Events)

  3. दृष्टि सुधार के उपाय