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भाव परिचय

आचार्य
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भाव परिचय" संस्कृत ज्योतिषशास्त्र का एक मूलभूत और अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें जन्मकुंडली के १२ भावों (houses) का अध्ययन किया जाता है। प्रत्येक भाव जीवन के किसी विशेष क्षेत्र (जैसे – शरीर, धन, परिवार, शिक्षा, विवाह, व्यवसाय आदि) का प्रतिनिधित्व करता है। ???? यह विषय आपको सिखाता है कि ग्रह किन भावों में किस प्रकार फल देते हैं। ???? यह जन्मकुंडली के गहरे विश्लेषण की नींव रखता है। ???? जो विद्यार्थी ज्योतिष में गंभीरता से अध्ययन करना चाहते हैं, उनके लिए यह पहला और आवश्यक चरण है।

भाव परिचय

1. भावों का परिचय:

2. भावों की प्रकृति:

3. प्रत्येक भाव का फल:

4. भावों की परस्पर दृष्टि (भाव-भाव संबंध):

5. ग्रहों का भावों में फलदायित्व:

6. भावों से संबंधित योग:

7. भाव परिवर्तन के नियम:

8. व्यवहारिक अभ्यास:

 इस कोर्स के बाद आप सीख पाएंगे:

  • कुंडली को भावों के आधार पर समझना

  • जीवन की समस्याओं की जड़ को पहचानना

  • सरल भाषा में भावों का विश्लेषण करना