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राशियों का उद्गम और इनका क्षेत्र और स्वामित्व और कर्म

आचार्य
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राशियाँ केवल ज्योतिषीय चिन्ह नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा के वाहक हैं। उनका उद्गम वेदों और ऋषियों के अनुभव से हुआ, जिनके माध्यम से हमें समय, स्वभाव और कर्म की दिशा का बोध होता है। हर राशि का अपना क्षेत्र होता है – जो एक जीवन-यात्रा का अंग है, अपना स्वामी होता है – जो उसकी दिशा को नियंत्रित करता है, और अपना कर्म होता है – जो उसके उद्देश्य को दर्शाता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी जन्मकुंडली में ग्रह कहाँ बैठकर क्या कार्य कर रहे हैं, तो इस विषय का अध्ययन आपके लिए एक दिव्य द्वार खोल देगा।

कोर्स कंटेंट 

1: राशियों का उद्गम (Origin of Rashis)

  • वैदिक ज्योतिष में राशियों की उत्पत्ति की कथा

  • देवताओं, ऋषियों और तत्वों से संबंध

  • राशियाँ और कालचक्र: सूर्य की प्रतीकात्मक यात्रा

 2: राशियों का क्षेत्र (Zodiacal Span and Direction)

  • 12 राशियों का विस्तृत आकाशीय क्षेत्र

  • पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और मध्य दिशा अनुसार राशियाँ

  • चल, स्थिर और द्विस्वभाव राशियों का क्षेत्रीय प्रभाव

  • प्रत्येक राशि की प्रकृति: अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल तत्व

3: राशियों का स्वामित्व (Rashi Lords)

  • 9 ग्रहों का राशियों पर स्वामित्व अधिकार

  • सूर्य और चंद्रमा की एक-एक राशि पर, अन्य ग्रहों की दो राशियों पर अधिपत्य

  • उच्च (Exaltation), नीच (Debilitation) और मूल त्रिकोण (Mooltrikona) की राशियाँ

  • शनि, मंगल, बुद्ध, शुक्र, गुरु के विशेष स्वामित्व सिद्धांत

4: राशियों का कर्म (Actions & Responsibilities of Rashis)

  • प्रत्येक राशि का मनोवैज्ञानिक और कर्मात्मक प्रभाव

  • धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष – राशियों की वर्गीकृत भूमिका

  • राशियाँ जीवन के किन कार्यों, वृत्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं

  • किस राशि में कौन-सा ग्रह क्या फल देता है – व्यवहारिक दृष्टिकोण

5: अभ्यास और कुंडली विश्लेषण (Practice & Chart Analysis)

  • जन्मकुंडली में राशियों की पहचान

  • ग्रह-राशि-कर्म के समन्वय की व्यावहारिक समझ

  • अभ्यास – प्रमुख कुंडलियों का विश्लेषण

  • प्रश्नोत्तरी एवं आत्म-परीक्षण


लक्ष्य 

  • राशियों की गहराई से समझ

  • किसी भी कुंडली में ग्रहों के प्रभावों को देखना

  • स्वभाव और कर्म की ज्योतिषीय व्याख्या करना

  • अपने और दूसरों के जीवन में राशि आधारित कर्म दिशा समझना