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सामवेद (नारायणी शाखा)

आचार्य
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सामवेद (नारायणी शाखा) सामवेद वेदों का वह रत्न है जो संगीत और साधना का मूल आधार है। इसका प्रमुख उद्देश्य है — स्वर और भाव के माध्यम से ईश्वर की आराधना। नारायणी शाखा सामवेद की एक प्राचीन और प्रतिष्ठित शाखा है, जिसमें मन्त्रों का उच्चारण विशिष्ट स्वरलहरी और ताल के साथ किया जाता है। यदि आप स्वर, संगीत, वेदपाठ और साधना को एक साथ सीखना चाहते हैं, तो सामवेद की नारायणी शाखा का अध्ययन आपको आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक ले जा सकता है। यह शाखा न केवल आत्मिक शुद्धि करती है, बल्कि ध्वनि की शक्ति से वातावरण को भी शुद्ध करती है।

सामवेद (नारायणी शाखा)

 प्रथम स्तर – परिचय और आधार 

 द्वितीय स्तर – स्वरयुक्त पाठ 

 तृतीय स्तर – सामगान का अभ्यास

चतुर्थ स्तर – उपासना और प्रयोग 

अतिरिक्त विशेषताएँ.......