Your shopping cart

Product Images

शुक्ल यजुर्वेद संहिता

आचार्य
  • ₹551/Month
  • Duration: 11 Months
शुक्ल यजुर्वेद (संस्कृत, देवनागरी लिपि) में पाई गई वाजसनेयी संहिता का एक पृष्ठ। पांडुलिपि का यह संस्करण गणेश और सदाशिव ( शैव धर्म ) को नमस्कार के साथ शुरू होता है। यजुर्वेद को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा गया है - "काला" या "गहरा" ( कृष्ण ) यजुर्वेद और "सफेद" या "उज्ज्वल" ( शुक्ल ) यजुर्वेद।
**शुक्ल यजुर्वेद** एक महत्वपूर्ण वेद है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें वाजसनेयी संहिता शामिल है, जो विभिन्न यज्ञों और अनुष्ठानों से संबंधित मंत्रों का संग्रह है। 

### शुक्ल यजुर्वेद की विशेषताएँ

1. **वाजसनेयी संहिता**: 
   - यह शुक्ल यजुर्वेद का प्रमुख भाग है, जिसमें यज्ञों के लिए आवश्यक मंत्र और क्रियाएँ दी गई हैं। यह विशेष रूप से अनुष्ठानों के दौरान उपयोग किया जाता है।

2. **सुरुआत**: 
   - पांडुलिपियों में शुक्ल यजुर्वेद का पाठ गणेश और सदाशिव को नमस्कार करते हुए आरंभ होता है, जो इस ग्रंथ के पवित्रता और श्रद्धा का प्रतीक है।

3. **वेदों का वर्गीकरण**: 
   - यजुर्वेद को दो भागों में बांटा गया है:
     - **कृष्ण यजुर्वेद**: जिसे "काला" या "गहरा" यजुर्वेद कहा जाता है। इसमें गद्य और पद्य दोनों प्रकार के मंत्र शामिल होते हैं।
     - **शुक्ल यजुर्वेद**: जिसे "सफेद" या "उज्ज्वल" यजुर्वेद कहा जाता है। यह मुख्य रूप से शुद्ध मंत्रों और अनुष्ठानों पर केंद्रित है।

### निष्कर्ष

शुक्ल यजुर्वेद धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। इसकी पांडुलिपियाँ भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा हैं, जो अध्यात्मिकता और परंपरा को आगे बढ़ाने में सहायक हैं।