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वैदिक तर्पण

आचार्य
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वैदिक तर्पण, पितरों को जल, दूध, तिल, और कुश अर्पित करने की प्रक्रिया है. इसे विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान किया जाता है. तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति और संतोष मिलता है. तर्पण करने का तरीकाः तर्पण के लिए, एक लोटे में जल लें. इसमें जौ, चावल, काले तिल, कुश की जूडी, सफ़ेद फूल, गंगाजल, दूध, दही, और घी मिलाएं. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं. जल में कुश डुबोकर ॐ पितृ देवतायै नमः मंत्र का जाप करते हुए सीधे हाथ के अंगूठे से अर्पित करें. 11 बार तर्पण करें और पितरों को इस दौरान ध्यान करें. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष, आत्म-अस्तित्व और जड़ों से जुड़ने का पाक्षिक दिव्य महोत्सव है.
]वैदिक तर्पण एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है, जो विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान की जाती है। इसका उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करना है। तर्पण करने की विधि और इसके महत्व पर यहां चर्चा की गई है:
1. सामग्री की तैयारी
2. सामान्य तैयारी
3. तर्पण करना:
 4. ध्यान